भारत रेलवे के इतिहास में पहला मौका—अब डीज़ल या बिजली नहीं, हाइड्रोजन से दौड़ेगी ट्रेन। पर्यावरण के साथ रफ्तार, जानिए कब और कहां से शुरु होगा सफर।
भारत रेलवे के इतिहास में बड़ी क्रांति लिखने वाला दिन अब ज्यादा दूर नहीं। जल्द ही देश की पटरियों पर दौड़ेगी Hydrogen Train, जिसे नाम दिया गया है “Namo Green Rail”। यह ट्रेन पूरी तरह से हाइड्रोजन फ्यूल से चलेगी और इससे न तो धुआं निकलेगा और न ही पर्यावरण को कोई नुकसान होगा। 1200 हॉर्सपावर की ताकत और 110-140 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार के साथ यह ट्रेन यात्रियों को पहली बार “ग्रीन जर्नी” का एहसास कराने जा रही है।रेलवे मंत्रालय के मुताबिक, यह ट्रेन अगले कुछ महीनों में ट्रायल रन के लिए तैयार हो जाएगी और फिर यात्रियों की सेवा में उतारी जाएगी। इसका मकसद भारत को विश्व के उन चंद देशों की लिस्ट में शामिल करना है जहां हाइड्रोजन ट्रेनें सफर कर रही हैं।
क्यों खास है Hydrogen Train? (Namo Green Rail)
आम तौर पर भारतीय रेलवे का बड़ा नेटवर्क या तो बिजली पर चलता है या डीज़ल पर। लेकिन हाइड्रोजन इंजन से चलने वाली ट्रेन बिल्कुल अलग होगी। इसे पूरी तरह पर्यावरण-फ्रेंडली तकनीक से बनाया गया है।
- ट्रेन से कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होगा।
- धुआं और प्रदूषण ज़ीरो रहेगा।
- इसमें लगाई गई बैटरी और हाइड्रोजन फ्यूल-सेल इंजन मिलकर पावर देंगे।
- यात्रियों को सफर का अनुभव और भी शांत और आधुनिक मिलेगा।
रेलवे मंत्री ने इसे “India’s Future Green Transport Mission” बताया है।
ट्रेन की तकनीकी क्षमता
फीचर | विवरण |
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इंजन पावर | 1200 हार्सपावर |
अधिकतम रफ्तार | 140 किमी/घंटा |
औसत रफ्तार | 110 किमी/घंटा |
फ्यूल सिस्टम | हाइड्रोजन-फ्यूल सेल + बैटरी |
उत्सर्जन | ज़ीरो कार्बन, ज़ीरो धुआं |
पहली सर्विस | 2025 के अंत तक उम्मीद |
देश को मिलेगा क्या फायदा?
भारत में रोज़ाना हजारों ट्रेनें दौड़ती हैं और उनका संचालन लाखों लीटर डीज़ल और भारी बिजली खपत पर आधारित है। हाइड्रोजन ट्रेन आने से न केवल रेलवे के खर्चे घटेंगे बल्कि देश का कार्बन फुटप्रिंट भी कम होगा।
- अनुमान है कि एक हाइड्रोजन ट्रेन से सालाना 11 करोड़ रुपये तक की डीज़ल बचत होनी संभव है।
- प्रदूषण कम होगा और शहरों की हवा साफ रहेगी।
- लंबे समय में रेलवे की लागत घटेगी और यात्रियों के लिए सेवाएं और सस्ती हो सकती हैं।
यात्रा अनुभव होगा अलग
Hydrogen Train यानी Namo Green Rail सिर्फ़ एक ट्रांसपोर्ट नहीं बल्कि भविष्य की झलक है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी।
- ट्रेन के डिब्बे नॉइज़-फ्री होंगे।
- बड़े खिड़की पैनल और मॉडर्न LED लाइटिंग लगाई जा रही है।
- यात्रियों को वाईफाई और डिजिटल इंफोटेनमेंट स्क्रीन की सुविधा मिलेगी।
- सुरक्षा के लिए स्मार्ट सीसीटीवी और AI-बेस्ड मॉनिटरिंग भी होगी।
कहां दौड़ेगी पहली Hydrogen Train?
रेलवे ने इसके पहले ट्रायल-रूट का चयन कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच छोटी दूरी की पैसेंजर लाइन पर यह ट्रेन पहले उतारी जाएगी। धीरे-धीरे इसे देश के अन्य राज्यों में भी चलाने की योजना है।
गुरुग्राम, रोहतक और सोनीपत जैसे शहरों से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक इसके परीक्षण की चर्चा तेज़ है। इससे हरियाणा रेलवे को नया पहचान मिल सकती है क्योंकि यहां रेल नेटवर्क पहले से ही मजबूत है।
लोगों में उत्साह
गांवों से लेकर शहर तक हर ओर चर्चा है कि भारत भी अब जर्मनी, फ्रांस और जापान जैसे देशों की बराबरी करने वाला है जहां हाइड्रोजन ट्रेनें पहले से चल रही हैं।
फरीदाबाद के छात्र रोहन का कहना है—“यह ट्रेन सिर्फ रफ्तार और सुविधा नहीं है, यह आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ हवा और सुरक्षित भविष्य है।”
वहीं सोनीपत के कारोबारी महेश ने कहा—“जैसे मेट्रो ट्रेनें दिल्ली का चेहरा बदल चुकी हैं, वैसे ही हाइड्रोजन ट्रेन भारत की पहचान बदलेगी।”
2025 जब भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में टिकाऊ ऊर्जा (Sustainable Energy) को लेकर संदेश देना चाहता है, यह ट्रेन उसका प्रतीक है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे “Namo Green Rail – India’s Pride” कहा है। यह न सिर्फ़ एक तकनीकी प्रयोग है बल्कि “हरित क्रांति” की दिशा में भारत का नेतृत्व भी दर्शाता है।